Saturday, August 3, 2013

लाट साहब






ला साहब



हम क्या बदलेंगे समाज को?
खुद नही बदले हम तो।
‘उनकाये कहना कि-
“…. देश का विकास करना है तो
गरीब जनता से स्वयं को जोड़ो ,
जनता में ही असली देश बसता है
क्या कहने!
लेकिन हमारा कहना...
देश के विकास की किसको पड़ी है ,
खुद का विकास हो जाए वही बहुत है,
जुड़ने दो हमें गौरे साहबों से पहले ,
परम्परा है वो हमारी ,
कैसे बन जाएं जनता जैसे?

मा-बाप है उनके तो हम!

साहब है उनके तो हम !!’’


-अशोक कुमार

No comments:

Post a Comment