लाट साहब
हम क्या बदलेंगे
समाज को?
खुद नही बदले
हम तो।
‘उनका ‘ ये कहना
कि-
“…. देश का विकास
करना है तो
गरीब जनता से
स्वयं को जोड़ो
,
जनता में ही
असली देश बसता
है”
क्या कहने!
लेकिन हमारा कहना...
“देश के विकास
की किसको पड़ी
है ,
खुद का विकास
हो जाए वही
बहुत है,
जुड़ने दो हमें
गौरे साहबों से
पहले ,
परम्परा है वो
हमारी ,
कैसे बन जाएं
जनता जैसे?
माई-बाप है
उनके तो हम!
साहब है उनके
तो हम !!’’
-अशोक कुमार
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