जी चाहता है...
किसी दामन
से लिपट कर
,
रोने को जी
चाहता है।
दिल की गहराई
में डूबकर ,
पलकें भिगोने को जी
चाहता है।
हंसी के आवरण
में डूबे थे
गम ,
गमों में दिल
डुबाने को जी
चाहता है ।
किसी आंचल में
सिर छिपाकर,
पिघल जाने को
जी चाहता हैं।
पंछी-से उड़ते थे अरमां
आकाश में,
बादल-सा झर
जाने को जी
चाहता है।
लहरों में भटकती
थी जीवन की
नाव ,
किसी डोर से
बंध जाने को
जी चाहता है।
-हरिचन्द
-हरिचन्द
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