Friday, August 16, 2013

जी चाहता है...



जी चाहता है...


किसी दामन से लिपट कर ,
रोने को जी चाहता है।
दिल की गहराई में डूबकर ,
पलकें भिगोने को जी चाहता है।
हंसी के आवरण में डूबे थे गम ,
गमों में दिल डुबाने को जी चाहता है
किसी आंचल  में सिर छिपाकर,
पिघल जाने को जी चाहता हैं।
पंछी-से उड़ते थे अरमां आकाश में,
बादल-सा झर जाने को जी चाहता है।
लहरों में भटकती थी जीवन की नाव ,
किसी डोर से बंध जाने को जी चाहता है।


 -हरिचन्द

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