जीवन झील नहीं ...
Hindi Poems by Hari Chand and Ashok Kumar
Friday, August 16, 2013
संध्या-तारिका
संध्या
-
तारिका
हर
शाम
जब
सूरज
डूबता
है
…
किसी
अनजान
कोने
में
दुबकी-
तुम्हारी
याद
-
संध्या
-
तारिका
-
सी
-
चुपके
से
-
दिलाकाश
में
उभरती
है…
और
श्रान्त
बटोही
-
सा
मैं
राह
में
बैठ
जाता
हॅू
पल
-
भर
उसे
निहारने
को…
-हरिचन्द
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