Friday, August 16, 2013

संध्या-तारिका



संध्या-तारिका

हर शाम
जब सूरज डूबता है
किसी अनजान कोने में दुबकी-
तुम्हारी याद -
संध्या-तारिका-सी -
चुपके से -
दिलाकाश में उभरती है…
और श्रान्त बटोही-सा मैं
राह में बैठ जाता हॅू
पल-भर उसे निहारने को…

 -हरिचन्द

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