Friday, July 19, 2013

कुंआ



कुंआ
-1-
शायद
गांव में नल गए हैं
कुंआ-
तरस जाता है
नव-वधू की चरण रज को…


-2-
अपनी सीमित गहराई में
असीम आसमान को छिपाए,
बस्ती से बाहर,
निःशब्द प्रहरी- सा…
कुंआ-
जब-तब
किसी पंछी की
आहट मात्र से
चैंक उठता है।


 -हरिचन्द

No comments:

Post a Comment