Tuesday, July 23, 2013

तुम्हारी राह



तुम्हारी राह


तुम्हारी राह-
और विपदाओं की दुपहरी…
शिशु-सा मेरा प्यार-
नंगे पांव था,
झुलस गए।


 -हरिचन्द

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