Sunday, July 14, 2013

लीक



लीक

एक बन्धी हुई लीक
और सामन्ती/ लाटसाहबी
मान-मार्यादा के गोल-गोल दायरे-
इन्हीं पर चलते हैं लोग…
किन्तु-
बन्धी हुई लीक को तोड़ना-
सामन्ती मान-मर्यादाओं के दायरे से बाहर आना
एक इन्सान के नजरिये से सोचना…
मैं कहता हॅूं-
पुलिस की वर्दी में होते हुए भी-
इन्सान बने रहना-
इतना मुश्किल तो नहीं ?

-अशोक कुमार

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